- सबर परिवार के बच्चों का नहीं बन पाया जन्म प्रमाणपत्र और आधार कार्ड, उचित दिशा निर्देश की कमी और वरीय अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण असमंजस में दिखे कर्मचारी
- बीडीओ ने कैंपस बूम से बातचीत में कहा, जन्म प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को किया जाएगा आसान, फिर से तिथि तय कर लगेगा शिविर
- शिविर लगने से ग्रामीणों में दिखी खुशी, लेकिन काम न हो पाने से दुखी होकर लौटे घर
- शिविर में ग्रामीणों के बैठने या खाने पीने की नहीं थी कोई व्यवस्था, पांच किलोमीटर पैदल चलकर कोराड़कोचा से पहुंचे थे चिरूगोड़ा
Campus Boom.
जहां एक ओर सरकार और स्वास्थ्य विभाग बच्चे के जन्म के पहले ही दिन से तरह तरह की वैक्सीन (टीका) और दवा, पोलियो खुराक देने का दावा करते हैं, वहां सबर परिवार के छह माह से एक साल के बच्चों को पहली बार जिंदगी के दो बूंद पोलियो की खुराक दी गई. साल भर चलने वाले पोलियाे ड्रॉ अभियान जो शिविर लगाकर और घर घर जाकर बच्चों को पिलाया जाता है, वहां सवाल यह उठता है कि छह माह एक साल तक यह सबर परिवार के बच्चे आखिर कैसे और क्यों वंचित रह गए? इन बच्चों को पहली बार बीसीजी का टीका भी कैंप में ही लगाया गया, जो उन्हें जन्म के बाद से लग जाने चाहिए थे. ऐसे में ये बच्चे किसी बीमारी के शिकार होते हैं, तो उसका गुनाहगार कौन होगा? पोलियो की खुराक नहीं दिया जाना कोई छोटी चुक नहीं है, भले इसके लाख बहाने हो सकते हैं. ऐसे मामले आने वाले समय में पोलियो फ्री भारत को कहीं फिर पीछे की ओर न ढकेल दे. ऐसे मामले यह साबित करने के लिए काफ़ी है कि पोलियो खुराक अभियान कागजों में शत प्रतिशत पूरी की जारी है, लेकिन धरातल पर स्थिति बदतर है.
खबर का असर: कोराड़कोचा ग्रामीणों के द्वार पहुंचेगी सरकार, 10 को गांव में कैंप, कल्याण, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, राशनिंग से लेकर आधार और वोटर कार्ड का काम होगा ऑन द स्पॉट
यह मामला पूर्वी सिहभूम के पोटका प्रखंड के उसी नारदा पंचायत के कोराड़कोचा गांव का है जिसके बदहाल स्थिति पर कैंपस बूम में (31 मई – विकास से कोसों दूर झारखंड का यह गांव, न सड़क, न पानी, न स्कूल, न स्वास्थ्य सुविधा, नून भात और कंदमूल ही है आहार) प्रकाशित खबर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लेते हुए गांव में कैंप लगाकर समस्याओं के निपटारा करने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री के आदेश पर बीडीओ, सीओ समेत पूरा महकमा 2 जून को गांव पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और वस्तु स्थिति को सत्य पाते हुए ब्लॉक पदाधिकारी अरुण कुमार मुंडा के निर्देश पर 10 जून को कैंप की तिथि निर्धारित करते हुए तमाम विभाग को शामिल होने का निर्देश दिया था. बीडीओ के निर्देश पर 10 जून को कैंप में सारे विभाग और कर्मचारी पहुंचे और अपनी सेवा दिए, लेकिन कैंप में ऐसी सच्चाई सामने आई, जो हैरत करने वाली थी. ग्रामीणों ने सबसे अधिक स्वास्थ्य विभाग की सेवा का लाभ लिया, लेकिन छह से एक साल के बच्चों को पोलियाे की खुराक जैसी अनिवार्य दवा नहीं पिलाए जाने के मामले सरकार और जिम्मेदारों के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हैं.
जन्म प्रमाणपत्र की कमी के कारण नहीं बन पाया आधार, कर्मचारी ने कहा टाटा कोर्ट से एफिडेविट करा कर लाओ
शिविर का लाभ लेने के लिए कोराड़कोचा गांव के भूमिज परिवार के साथ सभी सबर परिवार के लोग पांच किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर पहुंचे थे. शिविर लगने से उनके चेहरे पर खुशी थी, लेकिन कागजात की कमी के कारण नहीं हुए कार्य के कारण उनके आंखों में निराशा और गुस्सा भी देखने को मिला. कैंप में तमाम विभाग के कर्मचारी तो पहुंचे थे, लेकिन एक भी वरीय अधिकारी नहीं पहुंचे. दरअसल सबर परिवार के किसी भी बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र नहीं था, इसलिए उनके आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. जन्म प्रमाणपत्र बनाने के लिए मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि इसके लिए उन्हें जमशेदपुर कोर्ट जाकर एफिडेफिट कराकर लाना होगा, उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया होगी. इस बात से सभी सबर परिवार के लोगों में निराशा और गुस्सा देखने को मिला. उन्हें कैंपस बूम के रिपोर्टर से कहा कि कैंप का कोई लाभ नहीं है. सभी ने कहा कि इस शिविर का लाभ क्या हुआ, अगर उनके पास टाटा आने जाने का पैसा होता और उतनी जानकारी होती, तो वे पहले ही अपना काम करा लिए होते.
आंगनबाड़ी और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा प्रश्न चिन्ह
सबर परिवार के बच्चों को पोलिया की खुराक और टीका नहीं दिया जाना, जन्म प्रमाणपत्र नहीं बना होना, एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. सवाल आंगनबाड़ी और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली पर भी उठता है. ऐसे मामले सरा सर लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना वाले हैं. बच्चों को पोलियो की खुराक और बीसीजी का टीका दे रही स्वास्थ्य कर्मी ने स्वयं बताया कि इन बच्चों को पहली बार यह दिया जा रहा है. वह खुद इस बात से परेशान थी कि छह माह के शिशु को जहां अब तक तीन टीका लग जाने चाहिए थे, वैसे में उसे एक साथ सभी देना होगा. इस पर मौके पर आंगनबाड़ी सेविका अपनी सफाई दे रही थी (माताओं पर सवाल उठाते हुए) कि ये लोग आती नहीं है. उसने यह भी कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे के जन्म के बाद मां बच्चे को लेकर बिना बताए चली जाती है. अब सवाल यह भी उठता है कि अगर महिला ने बच्चे को अस्पताल में ही जन्म दिया होगा, तो उसे पोलिया ड्रॉप या टीका क्यों नहीं दिया गया था. गर्भवती होने के दौरान ही मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड बनाया जाता है. ऐसे में उन माताओं के नाम के वह कार्ड क्यों नहीं है. अगर वह कार्ड है, तो बच्चे के जन्म होने का जिक्र उसमें क्यों नहीं है, अगर जन्म का जिक्र है, तो उनका जन्म प्रमाण पत्र क्यों नहीं बन रहा है. इन सारे सवालों का जवाब एक ही है कि इसमें बड़ी लापरवाही बरती गई है. इन वंचित परिवारों को छोड़ दिया गया है उनके किस्मत के भरोसे, कि इस जंगल में उनकी हालात को देखने कौन आएगा.
कोराड़कोचा गांव में हुई ग्रामसभा, कैंप के पूर्व अपनी प्राथमिक जरूरतों और समस्या पर की गई चर्चा
कैंप में पहुंचे ये विभाग
कैंप में प्रशासन की ओर से तमाम विभाग से संबंधित समस्याओं के समाधान करते हुए कामों का निपटारे के लिए कर्मचारी पहुंचे थे. इसमें आधार कार्ड, सामाजिक सुरक्षा, कल्याण, आपूर्ति विभाग, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, पेयजल, बिजली, जेएससीपीएल, निर्वाचन और राजस्व विभाग का कैंप लगाया गया. अधिकारी और कर्मचारियों ने कई समस्याओं का ऑन स्पॉट निपटारा किया. कैंप में आपूर्ति व पशुपालन पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार, ब्लॉक ऑफिस के प्रधान सहायक संजय कुमार, शिक्षा विभाग की बीआरपी सोनू महतो, कल्याण विभाग के सुकलाल हेंब्रम, ब्लाॅक कोऑडिनेटर तापस कुमार त्रिपाठी, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग से कार्तिक कुमार दास ने कैंप में दी जा रही सुविधा के संबंध में विस्तार से जानकारी साझा किए.
कोट :
समस्याओं के समाधान का प्रयास, आगे भी लगेगा कैंप
छह माह से एक साल के बच्चों को पोलिया जैसी जरूरी खुराक नहीं मिलना गंभीर है. इस मामले को आपने संज्ञान में लाया है इस पर जांच कर उचित पहल की जाएगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी बच्चों को पोलिया डॉप और टीका समय पर लगे. शिविर लगाकर सभी तरह की समस्याओं के समाधान का प्रयास किया गया है. पेंशन, राशन जैसी समस्याओं को ऑन द स्पॉट दूर किया गया है. स्वास्थ्य शिविर का लोगों ने पूरा लाभ उठाया है. सबर परिवार के बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने से आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया नहीं हो सकी. उसके लिए एक और कैंप लगाकर प्रक्रिया को आसान बना कर सभी बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाने का काम किया जाएगा. क्योंकि बगैर जन्म प्रमाणपत्र के न तो आधार बनेगा और न ही उन परिवार और बच्चों को कोई लाभ मिल पाएगा. हमारा प्रयास है कि उन परिवारों को सभी सुविधा और उनका हक मिले.
अरुण कुमार मुंडा, बीडीओ, पोटका प्रखंड
वरीय अधिकारी होते, तो तत्काल समस्या का होता समाधान
यह शिविर महज दिखावे का साबित हुआ. जिस सबर जाति के लिए विशेष तौर पर कैंप लगाया गया, उनके बच्चों का ही जन्म प्रमाणपत्र ही नहीं बनाया गया. इतनी लंबी प्रक्रिया बताया गया है कि सबर परिवार के लोग वह पूरा नहीं कर पाएंगे. जन्म का कोई प्रमाण अगर नहीं है, तो कोर्ट से एफिडेविट करा कर लाने बोला गया है, ये लोग टाटा जाने में न तो सक्षम है और न इतना पैसा है कि वे लोग करा पाएंगे. अगर कैंप में कोई वरीय अधिकारी मौजूद रहते, तो मौके पर ही समाधान हो सकता था. जन्म प्रमाणपत्र के लिए मुखिया और ग्राम प्रधान ही प्रमाणित कर सकते हैं, इसको लेकर हमलोग बीडीओ और सीओ से बात करेंगे.
गोपाल सरदार, ग्राम प्रधान, कोराड़कोचा गांव