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युवा (यूथ यूनिट फॉर वॉलंटरी एक्शन’) एवं गर्ल्स फर्स्ट फण्ड GFF के संयुक्त तत्वावधान में आज पोटका प्रखंड के इम्पीरियल रिसोर्ट, तेंतला में बाल विवाह एवं जबरन विवाह उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शिक्षकों के साथ एक दिवसीय प्रखंड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बाल विवाह एवं जबरन विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु शिक्षकों की भूमिका को सशक्त बनाना और उन्हें इस अभियान का अभिन्न हिस्सा बनाना।
कार्यशाला का उद्देश्य यह भी था कि शिक्षक न केवल बच्चों को शिक्षा प्रदान करें, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित, सम्मान और गरिमामय जीवन जीने के लिए सक्षम बना सकें। कार्यक्रम का संचालन युवा संस्था के संस्थापक अरविंद तिवारी ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि बाल विवाह को रोकने में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे विद्यालय के माध्यम से न केवल बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों तक भी पहुँच रखते हैं और समाज में बदलाव का सशक्त माध्यम बन सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि युवा संस्था बाल विवाह के विरुद्ध क्षेत्र में कार्य कर रही है, और इसमें सभी लोगों को मिलकर समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में युवा संस्था की सचिव वार्णली चक्रवर्ती ने ‘युवा’ की स्थापना से लेकर अब तक के सफर को साझा किया। उन्होंने बताया कि संस्था की शुरुआत एक साधारण पुस्तकालय से हुई थी, लेकिन आज यह नारीवादी दृष्टिकोण को आत्मसात करते हुए महिलाओं, किशोरियों और विकलांग महिलाओं के अधिकारों, नेतृत्व विकास और ग्राम सभा सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर सक्रियता से कार्य कर रही है। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से संस्था की प्रमुख गतिविधियों और उपलब्धियों को साझा किया।
कार्यशाला के दौरान विभिन्न स्कूलों से आए शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और बाल विवाह रोकने हेतु उपयोगी सुझाव भी दिए वीर प्रताप मुर्मू शिक्षक , नागा स्कूल ने कहा कि आदिवासी समुदाय में बाल विवाह एक सामान्य परंपरा के रूप में प्रचलित है, और इसमें ग्राम प्रधान (माझी परगना) द्वारा विवाह की मान्यता दी जाती है। यदि यह सुनिश्चित किया जाए कि यदि लड़के या लड़की की उम्र कानूनन निर्धारित उम्र से कम हो तो ग्राम प्रधान ऐसे विवाह को मान्यता न दें, तो बाल विवाह की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
हरि शंकर आलोक शिक्षक, शिलिंग ने सुझाव दिया कि यदि युवा संस्था प्रत्येक विद्यालय में महीने में एक बार बच्चों से संवाद करे, तो वे बाल विवाह से होने वाले नुकसान को समझ सकेंगे और उसमें शामिल होने से बचेंगे ।
एस. के. अरशद शिक्षक, हल्दी पोखर स्कूल ने कहा, “जब हम बाल विवाह रोकते हैं, तो समाज हमें विरोधी की नजर से देखता है। लेकिन जब वही विवाह रुकता है और उसका सकारात्मक असर दिखता है, तब समाज समझता है कि हमने सही किया। लड़कियों को शिक्षित करना सबसे बड़ा समाधान है।
संजय केसरी शिक्षक, खैरपाल ने कहा कि अभिभावक अक्सर अपनी बेटियों की सुरक्षा के डर से उनका जल्दी विवाह कर देते हैं, लेकिन इस सोच को बदलना जरूरी है।
प्रमोद कुमार ,शिक्षक, पावरू स्कूल ने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैंने एक बाल विवाह रोका था, तो गाँव वालों ने मुझे दुश्मन समझा। लेकिन जब लड़की की पढ़ाई आगे बढ़ी और उसका भविष्य बेहतर हुआ, तब सबने मेरी सराहना की। अगर कोई छात्र पढ़ाई में कमजोर है तो मैं उसकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हूं।
कार्यक्रम के अंत में प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर चांदमनी सवैया ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने शिक्षकों द्वारा दिए गए सुझावों की सराहना की और युवा संस्था के कार्यकर्ता – अवंति सरदार, रीला सरदार एवं किरण सरदार इस कार्यशाला को सफल बनाने में सहयोग किये।