- नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए राजभवन से चिट्ठी जारी कर महाविद्यालयों में इंटरमीडिए दाखिला पर लगाई रोक, सवाल यह कि राज्य में महज 801 प्लस टू स्कूल, 190 इंटरमीडिएट कॉलेज, मैट्रिक में पास हुए हैं 3.95 लाख बच्चे, क्या सभी को मिल पाएगा दाखिला
- राज्य के 100 से ज्यादा महाविद्यालयों में 1.5 लाख से ज्यादा बच्चों का होता है नामांकन, इन कॉलेजाें में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को क्या मिल पाएगा नामांकन?
Campus Boom.
राज्य के विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों और डिग्री संबंध महाविद्यालयों में संचालित इंटरमीडिए प्रभाग में दाखिला को झारखंड राजभवन ने गलत बताया है और तत्काल प्रभाव से इंटरमीडिएट में दाखिला पर रोक लगाने की बात कही गई है. यही नहीं राजभवन से जारी चिट्ठी में साफ शब्दों में लिखा गया है कि कॉलेजों में इंटर के दाखिला को क्यों नहीं नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करना मानते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाए. राजभवन से जारी इस पत्र को लेकर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में हड़कंप मच गया है. कॉलेज प्रबंधन चिट्ठी का जवाब तैयार करने में जुट गए हैं. चिट्ठी में ऊपर की पंक्ति में लिखा है कि राज्य में नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के बाद इंटरमीडिएट का दाखिला प्लस टू स्कूलों में ही लिया जाना है. सूचना के अनुसार विश्वविद्यालयों द्वारा इंटरमीडिएट में दाखिला लिया जा रहा जो नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के प्रतिकूल है. राजभवन द्वारा 30 मई को लिखा गया यह निर्देश राज्य के सभी विवि को 3 मई को प्राप्त हुआ है, जिसके बाद उसकी कॉपी सभी कॉलेजों को भेजते हुए इंटरमीडिएट में तत्काल प्रभाव से नामांकन पर रोक लगा दिया गया है.

मुख्यमंत्री ने नामांकन को जारी रखते हुए चरणबद्ध तरीके से बंद करने की कही थी बात
वर्ष 2022 में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद यह झारखंड में भी वर्ष 2023 से प्रभावी हो गया था. इसके आलोक में सभी विश्चविद्यालयों और महाविद्यालयों में इटर का दाखिला रोक दिया गया था. जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों की मांग विवि और कॉलेजों को दाखिला जारी रखने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि चुकी वर्तमान में राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए पर्याप्त स्कूल, आधारभूत संरचना और शिक्षक नहीं है इसलिए इसे चरणबद्ध तरीके से बंद किया जाए. इसमें यह सुझाया गया था कि तीन चरणों में नामांकन की सीटों की संख्या को घटाते हुए वर्ष 2025-27 सत्र तक दाखिला जारी रहेगा. यह बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वर्ष 2023 में कहा था और इसको लेकर अधिसूचना भी जारी की गई थी. इसके अनुसार दाखिला इस वर्ष तक होना चाहिए था. लेकिन राजभवन के द्वारा जारी पत्र के बाद अब स्थिति अस्पष्ट हो गई है.
प्लस टू स्कूलों, संसाधन, शिक्षकों की नहीं है समुचित संख्या
राजभवन ने नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए विश्वविद्यालयों द्वारा इंटरमीडिएट में नामांकन पर रोक लगाने का आदेश तो दे दिया है, लेकिन अगर राज्य में प्लस टू स्कूलों की संख्या इसकी संख्या 801 है. वहीं 190 इंटर कॉलेज है. प्लस टू स्कूलों की बात करें तो इसमें सैकड़ों ऐसे स्कूल है जहां बेंच डेस्क जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है. स्कूलों में जो कमरे हैं वह कॉलेजों के कमरे की अपेक्षा काफी छोटे हैं. वहीं शिक्षकों की कमी से जूझ रही सरकारी शिक्षा व्यवस्था में तत्काल शिक्षकों की भरपाई कहां से होगी. इस वर्ष राज्य में जैक बोर्ड से 3,95,240 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है. जैक बोर्ड बोर्ड से पास शत प्रतिशत विद्यार्थी सरकारी प्लस टू स्कूल या कॉलेजों में संचालित इंटरमीडिएट कॉलेजों में ही दाखिला लेते हैं. दूसरी और आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड से भी उत्तीर्ण 5 से 10 प्रतिशत बच्चे कॉलेजों में या राज्य सरकार द्वारा संचालित प्लस टू स्कूल में नामांकन कराते हैं. ऐसे में यह संख्या 4.5 लाख के ऊपर पहुंच जाएगी. अब सवाल उठता है कि आठ सौ प्लस टू स्कूलों में क्या इन सारे बच्चों का दाखिला हो पाएगा?
चार स्तर पर इंटरमीडिएट की होती है पढ़ाई
राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई चार स्तर पर होती है. एक सरकारी प्लस टू स्कूल, दूसरा विवि के सभी 63 अंगीभूत महाविद्यालयों में, डिग्री संबंध महाविद्यालय, स्थापना अनुमति प्राप्त इंटर महाविद्यालय, स्थायी प्रस्वीकृति इंटर महाविद्यालय शामिल है.
ऐसे है सीट का बंटवारा
अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रत्येक संकाय में 384 सीट, डिग्री संबंध महाविद्यालय के प्रत्येक संकाय में 256 सीट, स्थापना अनुमति प्राप्त इंटर महाविद्यालय में प्रत्येक संकाय 128 सीट और स्थायी प्रस्वीकृति इंटर महाविद्यालय में प्रत्येक संकाय 384 सीट निर्धारित है. ऐसे में राज्य के 63 अंगीभूत महाविद्यालयों की ही बात करें, तो प्रत्येक कॉलेज में 1152 विद्यार्थियों का दाखिला होता है. इस हिसाब से 63 कॉलेजों में यह संख्या 72,576 होती है. दूसरी और राज्य में इससे ज्यादा संख्या में डिग्री संबंध महाविद्यालय है अगर उसकी संख्या भी इसी अनुसार मान लें, तो दोनों तरह के महाविद्यालयों में लगभग 1.5 लाख इंटरमीडिएट की सीट है. अब इतने विद्यार्थियों का नामांकन कहां और कैसे होगा. इन्हें कैसे मर्ज किया जाएगा, यह बड़ा सवाल है?
बढ़ जाएगी दूरी, विद्यार्थियों की बढ़ेगी समस्या
शहरी क्षेत्र हो गया ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह जो भी प्लस टू स्कूल है सभी एक दूसरे से दूरी 10 किलोमीटर के करीब है. कई ऐसे गांव और ब्लॉक हैं जहां बच्चों को 20 से 40 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए आना होगा. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि अगर कॉलेजों में दाखिला बंद हो जाएगा, तो इस विद्यार्थियों पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ेगा. किसानी खेती करने वाले घर के बच्चे जो ब मुश्किल स्कूल तक पहुंचते हैं ऐसे में उनके उच्च शिक्षा के पहले ही पायदान पर यह बड़ा प्रहार होगा.
अंकित आनंद ने भी किया था सीएम को ट्वीट
इंटरमीडिएट में दाखिला को जारी रखने के लिए भाजपा नेता अंकित आनंद ने कैंपस बूम की खबर को आधार बताते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट किया है.
नोट : कैंपस बूम कहीं यह नहीं कहता है कि नई शिक्षा नीति नहीं लागू होनी चाहिए या इस खबर का यह भी मतलब नहीं है कि राजभवन से जारी पत्र गलत है. लेकिन यह खबर बस इसलिए है कि झारखंड राज्य की स्थिति कुछ अलग है. यहां वर्तमान में स्कूलों और शिक्षकों की संख्या पर्याप्त नहीं है जिससे कॉलेजों में तत्काल दाखिला को बंद किया जाए. यह प्रक्रिया और चरणबद्ध तरीके से हो, ताकि राज्य सरकार को अपनी आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने का मौका मिल जाए.