Campus Boom.
कहते हैं जिद जिंदगी बदल देती है, और अगर जिद शिक्षा की हो तो उम्र और समय न मायने रखते है और न वो किसी की मोहताज होती है. उच्च और सर्वोच्च शिक्षा ग्रहण करने की कुछ ऐसी ही जिद एक ऐसे मजदूर ने की जिसके सामने कई चुनौतियां थी, जिसका उसने सामना करते हुए अपनी पढ़ने की ललक को न केवल पूरा किया और न एक नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया बल्कि हजारों मजदूरों के लिए आज प्रेरणास्रोत बन गए हैं. जी हां मजदूर, एक मजदूर जिसने नौकरी और कर्मचारी यूनियन की जिम्मेदारी को देखते हुए पीएचडी पूरी कर ली हैं. अब ये मजदूर डॉक्टरेट की उपाधि के नाम से पहचाना जाएगा. वो व्यक्ति और मजदूर टाटा स्टील के एलडी 2 में कार्यरत और टाटा वर्कर्स यूनियन के वर्तमान उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम हैं जो अब डॉ शाहनवाज आलम के नाम से जाने जाएंगे.
अपने कार्य के अनुसार चुना पीएचडी और शोध का विषय
टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष और जेसीएपीसीपीएल वर्कर्स यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने अरका जैन विश्वविद्यालय से औद्योगिक संबंध में पीएचडी पूरी की है। वह 2021 से 2025 बैच में थे. इंडस्ट्रीय रिलेशन से पीएचडी करने वाले शाहनवाज़ ने अपना विषय भी अपने कार्य क्षेत्र के अनुसार चुना जो “टाटा स्टील, जमशेदपुर में लचीलापन, जिम्मेदार और टिकाऊ कार्यबल के निर्माण में ट्रेड यूनियन की भूमिका” था. उन्होंने अरका जैन यूनिवर्सिटी के प्रो वीसी डॉ अंगद तिवारी की गाइड में यूनियन प्रबंधन संबंध में शोध किया है। उन्हें टाटा स्टील कंपनियों में यूनियन नेतृत्व की भूमिका में लगभग 30 वर्षों का समृद्ध अनुभव है। डॉ शाहनवाज़ अपने अब तक की नौकरी में टाटा स्टील के कई एमडी और यूनियन अध्यक्ष के साथ काम करने का अनुभव रखते हैं. उनके शोध निष्कर्ष नई पीढ़ी के नेताओं को संगठन, टाटा स्टील और टाटा वर्कर्स यूनियन दोनों को आकार देने में मदद करेंगे.
भौतिक विज्ञान में है मास्टर, एक्सएलआरआई से किया हैं एमबीए
डॉ शाहनवाज़ का शिक्षा के प्रति लगाव और जुड़ाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे पीएचडी करने के पूर्व एचआर में एमबीए भी कर चुके हैं. यही नहीं उन्होंने पर्यावरण प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा भी कर चुके हैं, जबकि वे मूल रूप से भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी के तौर पर मास्टर डिग्री कि पढ़ाई पूरी की है. अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने इंडस्ट्रीय रिलेशन पर आधारित एक पुस्तक नेगोसिएशन भी लिखी है.
टाटा स्टील की बात करें या टाटा वर्कर्स यूनियन की, कंपनी और यूनियन के सौ से भी ज्यादा वर्षों के इतिहास में आज तक कोई मजदूर वर्ग का कर्मी पीएचडी की उपाधि हासिल नहीं किया है. 35 वर्षों से टाटा स्टील में कार्यरत और करीब 29 वर्षों से यूनियन राजनीति में सक्रिय पांच बार से लगातार उपाध्यक्ष चुने जा रहे शाहनवाज़ आलम ने अपनी पीएचडी न केवक फुल कोर्स के साथ किया है बल्कि एक आम विद्यार्थी की तरह सिनोप्सिस से लेकर रिसर्च पेपर तक की सारी प्रक्रिया को भी पूरा किया हैं. डॉ शाहनवाज़ 1990 में टाटा स्टील के एलडी 2 में एक आम कर्मचारी के तौर पर ज्वाइन किए थे. 1996-97 में यूनियन में सक्रिय हुए और कमेटी मेंबर के तौर पर निर्वाचित हुए. टाटा वर्कर्स यूनियन के पिछले 10 चुनावों से लगातार अपना विजय पताका लहरा रहे हैं साथ ही वर्ष 2012 से लगातार पांच बार से उपाध्यक्ष चुने जा रहे हैं. यूनियन के इतिहास में यह भी एक कीर्तिमान हैं.
माने जाते हैं यूनियन के चाणक्य और अच्छे रणनीतिकार, प्रबंधन भी कायल
शाहनवाज़ आलम यूनियन में 29 वर्षों से न केवल सक्रिय हैं बल्कि वे यूनियन की राजनीति की ऐसी समझ स्थापित कर लिए हैं कि चुनाव के वक़्त पक्ष विपक्ष के लोग उनकी एक एक कदम और रणनीति पर नजर रखते हैं. वे किसके साथ कुर्सी साझा कर रहे हैं और किसकी चाल बिछा रहे हैं इसको समझने में चुनाव का परिणाम सामने आ जाता है. सत्ता की लड़ाई लड़ने वाले अपने परिणाम पर समीक्षा करने में जुटते हैं और शाहनवाज अपनी ठोस रणनीति से सत्ता का हिस्सा बन जाते हैं. इसलिए उन्हें यूनियन राजनीति का चाणक्य और एक अच्छा रणनीतिकार भी लोग मानते हैं. ये उनकी मजदूर यूनियन की पक्की समझ का नतीजा ही है कि यूनियन के साथ प्रबंधन के कई वरीय पदाधिकारी भी समझौते जैसे मुद्दों पर शाहनवाज से रायशुमारी करना जरूरी समझते हैं.
शाहनवाज़ आलम के पीएचडी पूरी होने की जानकारी मिलने पर कर्मचारियों और टाटा वर्कर्स यूनियन में खुशी का माहौल बन गया. यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी, महासचिव सतीश सिंह, सह सचिव नितेश राज के नेतृत्व में सभी यूनियन पदाधिकारी और कमेटी मेंबरों ने शाहनवाज़ आलम का यूनियन ऑफिस में अभिनंदन किया. उन्हें शॉल ओढ़ाकर और बुके देकर सम्मानित किया गया.