Campus Boom.
सूर्य की किरणें सभी के जीवन में नई ऊर्जा और नया दिन लेकर आती है, लेकिन एक बच्ची ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर है जिसे सूर्य की रोशनी डराती है और उजाला का अर्थ उसके लिए अंधकार है. यह कहानी पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड के नारदा पंचायत स्थित कोराड़कोचा सबर टोला में रहने वाली लगभग पांच वर्षीय सोनामुनी सबर की है. बिहड़ जंगल और पहाड़ियों के बीच रहने वाले कांदरा सबर और सेराबनी सबर की पांच वर्षीय बेटी सोनामुनी सबर एक ऐसे चर्म रोग (अनुभव के आधार पर, क्योंकि अब तक कोई जांच नहीं हुई है इस बच्ची की) से पीड़ित है, जो उसके शरीर पर लगातार फैल रहा है और अब वह चर्म रोग का असर उसकी आंखों तक पहुंच चुका है. स्थिति ऐसी है कि वह दिन के उजाले में आंख नहीं खोल पाती है और रोशनी की ओर देखने से उसकी आंखों में जलन और खुजली होने लगती है. यही नहीं उसकी आंखों का लालपन ऐसा हो चुका है जैसे खून निकल रहा हो. आंखों पर रोशनी पड़ते ही वह चेहरे और आंख को सिकुड़ने लगती है, इससे उसकी तकलीफ का अंदाजा लगाया जा सकता है. कैंपस बूम की टीम इस गांव की स्थिति पर रिपोर्टिंग करने पहुंची थी, तो इस बच्ची पर नजर पड़ी. आश्चर्य की बात है कि इस बच्ची पर जिम्मेदार अधिकारियों और स्वास्थ्य अमले की नजरें अब तक नहीं पड़ी है. इससे यह साफ है कि इस गांव में इन परिवारों की न तो कोई हालत देखने आता है और न ही इन्हें कोई चिकित्सीय जांच की सुविधा मिल रही है.
कभी नहीं मिली चिकित्सीय सुविधा, लगातार बढ़ रही है बीमारी और तकलीफ :
सोनामुनी सबर एक ऐसे समुदाय से है जो झारखंड में विलुप्त हो रही जाति है. सबर जाति को बचाने के लाख दावे और योजना चलाई जा रही है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. हिंदी भाषा न बोल पाने और न समझ पाने वाले इन परिवारों से स्थानीय ग्राम प्रधान (हिंदी बोल पाने में सक्षम) के माध्यम से जानकारी जो मिली वह आश्चर्य करने वाली है. सबर परिवार के लोगों ने बताया कि उनकी हालात को देखने कोई नहीं आता है. पोलियो मुक्त घोषित देश में सोनामुनी सबर जैसी बच्चियों को नियमित पोलियो का ड्रॉप तक नहीं मिल रहा है. बच्चों को तरह तरह के रोग से बचाने के लिए निशुल्क दिए जाने वाले वैक्सीन से भी यहां के बच्चे वंचित है. सरकार, प्रशासन के सारे दावे और हकीकत यहां पहुंचने पर खोखले और झूठे साबित होते दिखने लगते हैं.
लकड़ी-पत्ता चुनने जंगल गए थे माता पिता:
कैंपस बूम की टीम जब गांव पहुंची और सोनामुनी सबर से मुलाकात हुई तब उसके माता पिता जंगल में लकड़ी और पत्ता चुनने गए थे, इस वजह से उनसे बात नहीं हो सकी. परिवार के अन्य सदस्यों ने बताया कि जन्म के समय से सोनामुनी के चेहरे के कुछ हिस्से में काले धब्बे दाग थे, जो उसकी उम्र के साथ बढ़ते गए और अब वह दाग न केवल उसके शरीर के हर हिस्से में बढ़ रहा है बल्कि उसकी तकलीफ भी लगातार बढ़ा रहा है. अगर समय रहते सोनामुनी को उचित इलाज नहीं मिला, तो उसकी जिंदगी और खराब हो सकती है.