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बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से युवा संस्था (यूथ यूनिटी फॉर वॉलंटरी एक्शन) एवं गर्ल्स फर्स्ट फंड के संयुक्त तत्वावधान में आज होटल बुलेवार्ड, बिष्टुपुर में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से बाल विवाह के दुष्परिणाम, उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएँ, सरकारी उपायों और समुदाय की भागीदारी पर विचार-विमर्श हुआ।
कार्यशाला में प्रमुख अतिथियों धर्मेन्द्र कुमार, सचिव – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), प्रेम कुमार, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (DCPU), अमृता कुमारी, जिला PONIC, प्रभंजन कुमार, जिला समन्वयक – चाइल्डलाइन, मोहम्मद सिकंदर, अध्यक्ष – मकदमपुर मस्जिद कमिटी, पास्टर एम. चरण, बेल्डीह चर्च, अंजलि बोस, सचिव – महिला कल्याण समिति उपस्थित रही.
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डालसा सचिव ने विधिक प्रयासों की जानकारी दी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डालसा के सचिव धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि बाल विवाह के उन्मूलन में विधिक सेवा प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। DLSA के माध्यम से स्कूलों, कॉलेजों, गांवों और पंचायतों में विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन कर लोगों को Prohibition of Child Marriage Act, 2006 के तहत कानून की जानकारी दी जाती है। यदि कोई किशोर या किशोरी बाल विवाह से बचना चाहता है, तो DLSA उसे कानूनी सहायता, सुरक्षित आवास और बाल संरक्षण केंद्र तक पहुंचाने में मदद करता है। इसके अलावा, ऐसे मामलों की तेजी से न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालतों में निःशुल्क पैरवी भी की जाती है।
DCPU की तत्परता की सराहना:
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रेम कुमार ने कहा कि बाल विवाह की सूचना मिलते ही DCPU तत्काल मौके पर पहुंचकर विवाह को रोकता है। आवश्यक स्थिति में बाल कल्याण समिति (CWC) के आदेश से बच्चे को संरक्षण गृह भेजा जाता है। साथ ही पीड़ित बच्चे की देखभाल, काउंसलिंग, पुनर्वास और शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।
धर्म गुरुओं की सहभागिता और सामाजिक दृष्टिकोण:
कार्यशाला में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी भूमिका स्पष्ट की. मकदमपुर मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद सिकंदर ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में शादी से पूर्व आयु सत्यापन के लिए आधार कार्ड एवं आयु प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से देखा जाता है, और दोनों पक्षों की सहमति के बिना निकाह नहीं होता।
बेल्डीह चर्च के पास्टर एम चरण ने बताया कि ईसाई समुदाय में विवाह से पहले चर्च में तीन रविवार तक घोषणा की जाती है, जिससे यदि किसी को आपत्ति हो तो लिखित शिकायत दी जा सकती है। साथ ही, नवयुगलों को विवाह की सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों से अवगत कराया जाता है।
हिंदू धर्म के पुरोहित विकास ने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर ही समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
शहरी क्षेत्रों में जागरूकता की आवश्यकता पर जोर:
जिला पीओएनआईसी अमृता कुमारी ने चाइल्डलाइन की टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि टीम स्कूल-कॉलेजों में जाकर ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन अब आवश्यकता है कि शहरी क्षेत्रों में भी इसी तरह के प्रयास किए जाएं, क्योंकि बाल विवाह अब शहरों में भी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
इस जागरूकता कार्यक्रम का संचालन युवा संस्था की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अंजना देवगम द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की सफलता में युवा संस्था के कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। कार्यशाला में जमशेदपुर की अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए।