- हिन्दी में वर्गवादी साहित्य के जनक थे प्रेमचंद: डॉ राकेश
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ग्रेजुएट कॉलेज के हिन्दी विभाग द्वारा कथा और उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ वीणा सिंह प्रियदर्शी उपस्थित थीं। प्राचार्या ने प्रेमचंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया। अपने संबोधन में प्राचार्या ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां समाज की समस्याओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है। हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की कहानियों को केंद्र में रखकर ही कहानियों का विभाजन किया गया है। हमें उनकी कहानियां पढ़ने से संघर्ष का एक रास्ता दिखाई देता है।
मुख्य वक्ता हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि हिन्दी साहित्य में वर्गवादी रचना का सुत्र पात भले भारतेन्दु युग से माना जाता है। लेकिन साहित्य में वर्गवाद का विस्तार में प्रेमचंद का सर्वाधिक योगदान माना जाता है। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं का विषय समाजिक, आर्थिक, राजनीतिक समस्याओं को केंद्र में रखकर किया है। प्रेमचंद आदर्शोन्मुखी याथार्थवाद के लिए तो सर्वविदित हैं लेकिन सही मायने में कहा जाए तो प्रेमचंद समरसतावादी रचनाकार भी हैं। इनके साहित्य के नायक जहां किसान, मजदूर, मध्यवर्ग है तो वहीं समाज में व्याप्त कुरुतियों को उजागर करती हुई नायिकाएं भी दिखलाई देती है।
डॉ पांडेय ने कहा कि प्रेमचंद ने हिन्दी में लगभग 300 कहानियां एक दर्जन उपन्यास और तीन नाटकों की रचना की। उनकी सभी रचनाएं पाठक वर्ग को अपनी और आकर्षित करती है तथा समाज को सोचने पर मजबूर करती है। कार्यक्रम का संचालन सेमेस्टर 4 की छात्रा श्रुति चौधरी तथा धन्यवाद ज्ञापन सेमेस्टर 3 की छात्रा सोंपा दत्ता ने किया।
इस अवसर पर राजनीतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ विनय कुमार सिंह, वाणिज्य विभाग की अध्यक्ष डॉ, अनामिका कुमारी, डॉ सुशिला, डॉ संगीता बिरुआ, डॉ पूर्वा दूबे, डॉ अनुराधा बर्मा, आदि शिक्षकों के आलावे अनिषा कुमारी, सुनिता कुमारी, नेहा, वर्षा, सहित दर्जनों छात्राएं उपस्थित थीं।