- शिक्षा सत्याग्रह के अंकित आनंद ने राज्यपाल, कोल्हान विवि कुलपति समेत अन्य को किया मेल से पत्राचार
- मामला जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज का, शिकायतकर्ता के अनुसार प्राचार्य ने तिथि को बदलने से किया इनकार
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के सत्र 2021-2024 के विद्यार्थियों की पांचवें सेमेस्टर की आंतरिक प्रायोगिक एवं वायवा परीक्षा दिनांक 30 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है। मालूम हो कि इसी दिन बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की मुख्य परीक्षा भी आयोजित हो रही है, जिसके लिए कई विद्यार्थी पहले से परीक्षा केंद्रों के लिए बिहार प्रस्थान कर चुके हैं। इसमें जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के पांचवें सेमेस्टर के भी कई विद्यार्थी शामिल है. ऐसे में उनके सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है. वायवा की तिथि में बदलाव को लेकर विद्यार्थी ने गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. प्राचार्य ने सीधे कहा कि तिथि में बदलाव नहीं होगा, अगले साल परीक्षा में शामिल होगा.
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इस मामले को लेकर शिक्षा सत्याग्रह से जुड़े और भाजपा नेता ने झारखंड के राज्यपाल, कोल्हान विश्वविद्यालय की वीसी, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त को ईमेल के माध्यम से पत्राचार कर इस विषय संज्ञान लेने की गुहार लगाई है. अंकित आनंद ने पत्र में जिक्र किया है कि कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट उल्लेख है कि परीक्षा 28 अप्रैल से 2 मई 2025 तक आयोजित की जानी है. इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन द्वारा मात्र एक ही दिन परीक्षा निर्धारित करना अत्यंत असंवेदनशील एवं अन्यायपूर्ण है.
प्राचार्य और कुलपति ने नहीं उठाया फोन
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कैंपस बूम ने इस संबंध में पक्ष लेने के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता और जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ जितेंद्र कुमार से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिर रिंग होने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला.
शिकायतकर्ता ने इन बिंदुओं पर विचार करने की लिखी है बात
- विश्वविद्यालय के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद, कॉलेज प्रशासन ने केवल एक दिन में परीक्षा आयोजित करने का मनमाना निर्णय क्यों लिया?
- विद्यार्थियों के भविष्य को संकट में डालते हुए कॉलेज प्रशासन ने वैकल्पिक तिथि क्यों नहीं निर्धारित की?
- जब कोल्हान विश्वविद्यालय ने परीक्षा की अवधि 28 अप्रैल से 2 मई तक दी है, तब क्या कारण है कि छात्रों को केवल 30 अप्रैल तक सीमित कर दिया गया?
- क्या कॉलेज प्रशासन एवं परीक्षा विभाग विद्यार्थियों के अधिकारों एवं न्याय के सिद्धांतों के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं?
- क्या प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि विद्यार्थियों का एक वर्ष अनावश्यक रूप से नष्ट न हो?
यह है मांग
अविलंब हस्तक्षेप कर आंतरिक प्रायोगिक एवं वायवा परीक्षा की तिथि में संशोधन कर कम से कम दो दिवसों के लिए आयोजन सुनिश्चित किया जाए. सभी विद्यार्थियों को निष्पक्ष एवं समान अवसर प्रदान किया जाए, ताकि उनका अकादमिक भविष्य सुरक्षित रहे. कॉलेज प्रशासन एवं परीक्षा विभाग की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कर, आवश्यकता अनुसार दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. शिकायत कर्ता ने लिखा है कि इस अत्यंत संवेदनशील विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए त्वरित संज्ञान लिया जाए, ताकि न्याय के मूल सिद्धांतों की रक्षा हो सके.