- आर्ट्स में लोयोला की तनिष्ठा चटर्जी 99 प्रतिशत अंक लाकर बनी सिटी टॉपर
- 10वीं में भी में आए थे 95.6 प्रतिशत अंक, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत ने आर्ट्स की पढ़ाई की ओर किया आकर्षित
- फिल्म मेकिंग, सिनेमैटाेग्राफी के क्षेत्र में करियर बनाकर फिल्मों पर करना चाहती है अध्ययन
जमशेदपुर टेल्को की रहने वाली छात्रा तनिष्ठा चटर्जी ने आईएससी 2025 की परीक्षा में आर्ट्स स्ट्रीम से 99 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सिटी टॉपर बनने में सफल रही है. अपनी सफलता को श्रेय वह अपने माता पिता, स्कूल के टीचर्स को देती है. तनिष्ठा ने कहा कि वह कभी टाइम देखकर नहीं पढ़ती थी बल्कि इच्छा के अनुसार पढ़ाई करती थी. तनिष्ठा ने दसवीं की परीक्षा लिटिल फ्लावर स्कूल से 95.6% अंकों के साथ पास की थी और इसके बाद बारहवीं की पढ़ाई लोयोला स्कूल से की. 12वीं में उन्हें इंग्लिश में 99, हिस्ट्री में 100, साइकोलॉजी में 100 और पॉलिटिकल साइंस में 97 अंक प्राप्त किए. तनिष्ठा के पिता राजीव चटर्जी टाटा मोर्टस में अधिकारी हैं जबकि मां तान्या चटर्जी टेल्को हिल टॉप स्कूल में इंग्लिश की शिक्षिका है. माता पिता अपनी बेटी की सफलता से काफी खुश है.
कुछ अलग करना चाहती है तनिष्ठा
ICSE Result: 10वीं में जमशेदपुर की सांभवी बगैर ट्यूशन के शत प्रतिशत अंक लाकर बनी नेशनल टॉपर
अक्सर यह माना जाता है कि आर्ट्स स्ट्रीम में टॉप करने वाले विद्यार्थी सिविल सेवा की ओर रुख करते हैं, लेकिन तनिष्ठा की सोच इससे बिल्कुल अलग है. उन्होंने बताया कि उनका सपना फिल्मों पर अध्ययन करना है. वह सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से फिल्म स्टडीज़ और मास कम्युनिकेशन में आगे की पढ़ाई करने का बनाई हैं.. फिल्मों के प्रति उनका लगाव बचपन से रहा है. सत्यजीत रे की बंगाली फिल्मों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया है. इन दिनों उन्हें जापानी फिल्में खासा पसंद हैं क्योंकि उनकी कहानी धीमी लेकिन भावनाओं से भरपूर होती है, जो बदलते जीवन और जीवन को बदलने की ओर आगे बढ़ती हुई दिखाई देती है. तनिष्ठा ने बेबाकी से कहा कि हिंदी खासकर बॉलीवुड में फिल्में महज कमाई के लिए बनाई जा रही है. कहानी कुछ भी हो, लक्ष्य महज कमाई है.
सुनिए ICSE 10वीं की टॉपर ने क्या कहा
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तनिष्ठा की मां, तान्या चटर्जी, जो कि हिल टॉप स्कूल टेल्को में इंग्लिश टीचर हैं. उन्होंने कहा कि कभी भी बेटी को करियर को लेकर दबाव नहीं दिया. “हमने अपनी बेटी को हमेशा आज़ादी दी कि वह अपने मन की करे, क्योंकि जब बच्चे अपने दिल से कुछ करते हैं, तो वो उसमें निखरते हैं,” उन्होंने कहा. तनिष्ठा बचपन से ही स्कूल में सांस्कृतिक और अन्य गतिविधियों में आगे रही हैं.
पिता राजीव चटर्जी, जो टाटा मोटर्स में अधिकारी हैं,. उनका भी यही मानना है कि बच्चों को खुला माहौल मिलना चाहिए. वे बताते हैं, “हमने कभी बेटी पर पढ़ाई का दबाव नहीं डाला. वह अपने टाइम के अनुसार करती है, या अपनी रुचिकर किताबों को पढ़ती है.
तनिष्ठा का मानना है कि छात्रों को सोशल मीडिया से जितना संभव हो, दूर रहना चाहिए क्योंकि यह पढ़ाई में बाधा बनता है और व्यक्ति एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगता है. उन्होंने स्वयं सोशल मीडिया से दूरी बनाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है. उनकी सफलता न केवल जमशेदपुर बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है.