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झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव राकेश कुमार पांडेय ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सरकार के द्वारा महाविद्यालय में इंटरमीडिएट में नामांकन नहीं लेना यूजीसी, नई शिक्षा नीति के अनुरूप भले न हो लेकिन कुछ वर्षों तक विद्यार्थी के साथ अन्याय होगा वे परेशान भी रहेंगे।
सरकार के द्वारा 2024-26 सत्र में नामांकित विद्यार्थी को वहां से हटाकर 5 किलोमीटर के दायरे में स्थापित दूसरे+2 स्कूलों या इंटर कालेजों में नामांकन लेने का आदेश है वह अव्यवहारिक और छात्रों के साथ तकनीकी समस्या भी खड़ी होगी। इसलिए सरकार को चाहिए था की 8 महिना उन्हें संबंधित महाविद्यालय में पढ़ने दिया जाता।
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वर्तमान में ग्यारहवीं में ही रजिस्ट्रेशन हो जाता है ऐसे में विद्यार्थी का रजिस्ट्रेशन कोर्ड संबंधित महाविद्यालय का होगा जबकि बारहवीं के परीक्षा फार्म में उस स्कूल या इंटर कालेज का नाम होगा जहां वह नामांकित होगा यह तकनीक रुप से गड़बड़ी होने की आशंका है। अगर फरवरी मार्च तक इन विद्यार्थियों को उसी महाविद्यालय में रहने दिया जाता तो विद्यार्थी लोगों को तकनीकी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
सरकार राज्य के 64 अंगीभूत महाविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के भविष्य के बारे में अपने पत्र में मानवीयता पूर्ण विचार करते हुए कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दे पाई है इससे लगभग 2000 लोग न सिर्फ बेरोजगार हो गए बल्कि उनके समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई। सरकार को इन महाविद्यालयों में कार्यरत कर्मियों के बारे में भी सोचना चाहिए था जो लगभग 18 वर्षों से सरकार के बिना एक रुपए के सहयोग के लाखों विद्यार्थियों की शिक्षा सेवा प्रदान किया है।
सरकार को चाहिए की इनके अनुभव और वर्षा के सेवा के लिए सरकार के +2 स्तर के स्कूलों में गेस्ट शिक्षक और कर्मी को रख लें आखिर हजारों विद्यार्थी जो नामांकन लेंगे उन्हें शिक्षा प्रदान करने के लिए न तो शिक्षक उपलब्ध हैं न कर्मी। अगर सरकार ऐसा करती है तो न सिर्फ उक्त कर्मियों को रोजगार छीनने से बच जाएग बल्कि सरकार को भी अनुभवी लोगों का लाभ मिल सकेगा। राकेश पांडेय ने कहा कि संघ का एक प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह इस विषय को लेकर स्कूली शिक्षा के सचिव से मिलकर अपनी बातों को रखेगा ताकि झारखंड के 64 अंगीभूत महाविद्यालय में चल रहे इंटरमीडिएट शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का भला हो सके।