- लोयोला बिस्टुपुर की छात्रा है सांभवी जायसवाल, नेशनल टॉपर में दोहरा दिया जमशेदपुर का इतिहास
- 100 प्रतिशत अंक लाने वाली शहर की पहली छात्रा है सांभवी
- माता पिता समेत 22 डॉक्टरों वाले परिवार की बिटिया इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बनाना चाहती है भविष्य
- आगे की पढ़ाई के लिए बिस्टुपुर डीएवी में ले चुकी हैं दाखिला
जमशेदपुर की सांभवी जायसवाल ने ICSE 10वीं की परीक्षा में नेशनल टॉपर बन कर जमशेदपुर का इतिहास दोहरा दिया है. इसके पूर्व टेल्को हिल टॉप स्कूल के रुशील कुमार ने वर्ष 2023 में 99.8 प्रतिशत अंक लाकर नेशनल टॉपर बने थे. सांभवी 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पूरे देश में इतिहास रचने वाली जमशेदपुर की पहली छात्रा है। वह न केवल जमशेदपुर की, बल्कि पूरे भारत की पहली छात्रा बनी हैं जिन्होंने सभी विषयों में पूर्णांक प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर टॉप किया है। सबसे बड़ी बात है कि सांभवी ने स्कूल के अलावा कोई अलग से ट्यूशन नहीं लिया, बल्कि स्कूल और सेल्फ स्टडी से ही परीक्षा की पूरी तैयारी की और लहरा दिया परचम. इस विलक्षण प्रतिभा से न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे शहर और देश को गर्व महसूस हो रहा है। सांभवी अपनी सफलता का श्रेय अपने लक्ष्य आधारित पढ़ाई, माता पिता, और स्कूल के शिक्षक, शिक्षिकाओं को दी है. उन्होंने कहा कि बेहतर क्लास स्टडी के कारण ही उन्हें अलग से ट्यूशन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी. छोटी बहन वह भी लोयोला स्कूल बिस्टुपुर में पढ़ाई कर रही है.
कैंपस बूम से बातचीत में सांभवी ने अपनी सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि उनका पालन-पोषण उनके नाना-नानी के घर बिहार के किशनगंज में हुआ और प्राथमिक पढ़ाई कक्षा तक गांव के बाल मंदिर में की, वहीं दूसरी से पांचवीं तक की पढ़ाई दिल्ली के स्कूल से की. वहीं कक्षा छह से लगातार 10वीं तक लोयोला स्कूल जमशेदपुर से पढ़ाई की. सांभवी के माता-पिता, डॉ अभिषेक और डॉ ओजस्वी, समेत पूरे परिवार में कुल 22 लोग डॉक्टर हैं. पिता एमटीएमएच में रेडियोलॉजिस्ट विभाग के हेड हैं जबकि मां डॉ ओजस्वी टाटा मणिपाल मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रॉफेसर है.
100 प्रतिशत अंक किया प्राप्त
वीडियो में सुनिए सांभवी ने क्या कहा
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सांभवी ने अंग्रेज़ी, एसएसटी, हिंदी, कंप्यूटर और गणित – सभी विषयों में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं. यह उपलब्धि अपने आप में एक मिसाल है, खासकर तब जब उन्होंने किसी भी ट्यूशन या कोचिंग का सहारा नहीं लिया। सांभवी सोशल मीडिया से दूर रहकर केवल अपनी पढ़ाई और किताबों पर ध्यान केंद्रित करती थीं। जब भी उन्हें मानसिक रूप से विश्राम की ज़रूरत होती, तो वे ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ देखती थीं। सांभवी को ड्राइंग, पेंटिंग करना पसंद है वहीं वह शास्त्रीय नृत्य में कथक भी करती हैं.
सांभवी के परिवार में कुल 22 डॉक्टर हैं, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग को अपना करियर बनाने का निश्चय किया है। उनका सपना है कि वह IIT मुंबई से कंप्यूटर साइंस में शिक्षा प्राप्त करें और एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनें। बेटी के फैसले से माता पिता काफी खुश हैं उन्होंने कहा कि बेटी ने कुछ अलग करने का सोचा है उसे उनका पूरा सपोर्ट रहेगा. सांभवी ने बताया कि उनके साइंस और गणित के सारे संदेह उनकी मां ने घर पर ही दूर किए, जो उनके लिए सबसे बड़ी मार्गदर्शक रहीं।
सांभवी का मानना है कि आत्म-विश्वास, अनुशासन और ईमानदारी से की गई मेहनत ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने यह संदेश दिया कि परिणाम की चिंता किए बिना पूरे मन से पढ़ाई करें और खुद पर विश्वास रखें। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा आज के युवाओं के लिए एक मिसाल है।