– द डिजिटल इम्पेरेटिव: बिल्डिंग, लीडिंग एंड सस्टेनिंग ट्रांसफॉर्मेशन’ थीम पर री-एनविजन के चौथे संस्करण का हुआ आयोजन
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एक्सएलआरआइ जमशेदपुर में डिजिटल परिवर्तन पर केंद्रित वार्षिक कॉन्क्लेव री-एनविजन 4.0 का भव्य आयोजन हुआ. द डिजिटल इम्पेरेटिव: बिल्डिंग, लीडिंग एंड सस्टेनिंग ट्रांसफॉर्मेशन थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए डिजिटल तकनीकी विशेषज्ञों, कॉर्पोरेट लीडर्स और इनोवेटर्स ने हिस्सा लिया. इस कॉन्क्लेव में डिजिटल युग में नेतृत्व, एआई का उपयोग, और डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विषयों पर तीन सशक्त पैनल डिस्कशन भी हुए. जिसमें आने वाले दौर में डिजिटल परिवर्तनों पर कई अहम बातें निकल कर सामने आई.
कार्यक्रम की शुरुआत एक्सएलआरआइ के एकेडमिक डीन डॉ. संजय के. पात्रो, एक्सीड के सीइओ प्रो. सुनील सारंगी और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु शेखर के उद्घाटन भाषणों से हुई. वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि आज कि नेतृत्व शैली अगर एजाइल नहीं होगी, तो आने वाला कल उसे बहुत पीछे छोड़ देगा. प्रो. सारंगी ने एजाइल मेनिफेस्टो और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि डिजिटल परिवर्तन कोई तकनीकी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक वैचारिक क्रांति है. इस सफल आयोजन की संकल्पना और क्रियान्वयन में एक्सएलआरआइ के कॉर्पोरेट रिलेशन व प्लेसमेंट ऑफिस के आशीष पाल एवं अंशु कुमारी द्वारा किया गया. पैनल चर्चाओं का संचालन छात्र प्रतिनिधि हर्षिता महेन्द्रा, पलोमा फर्नांडीस और तेजेश ईथा ने किया. आयोजन समिति में श्रुति वाणी, कोमल हुसैन, एति अग्रवाल, रोहित सिंह, निखिल कदम और नित्यानंद सिंह शामिल थे.
पैनल 1: डिजिटल तकनीकों से व्यापार में परिवर्तन
इस सत्र में क्लब महिंद्रा के सीटीओ विकास श्रीवास्तव ने कहा कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन तब तक अधूरा है जब तक वह मानवीय जरूरतों से जुड़ा न हो. इस दौरान इस बात पर भी बल दिया गया कि एआइ और यूएक्स से कहीं ज्यादा जरूरी सीइ यानी इमोशनल कॉन्टिनेंट है. रेकेम आरपीजी की सीडीआइओ मेहजबीं ताज आलम, एलटीआई माइंडट्री की पूर्व निदेशक प्रीति सैनी और इनमोबी ग्रुप के सीडीओ रमण श्रीनिवासन ने भी इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल टूल्स की सफलता, उसके पीछे छुपी समझ पर निर्भर करती है ना कि केवल कोड और एल्गोरिद्म पर.
पैनल 2: एआइ युग में मानवीय नेतृत्व की चुनौती
आज जब हर संगठन एआइ और ऑटोमेशन की तरफ दौड़ रहा है, तब ओरेकल के क्लाउड एवं देवऑप्स लीडरभाबानी महाराणा और एचडीएफसी लाइफ के सीटीओ रोहित किलम जैसे विशेषज्ञों ने एक आवश्यक चेतावनी देते हुए कहा कि तकनीक को मानव के विकल्प की तरह नहीं, सहयोगी की तरह देखा जाना चाहिए. किंद्रिल के कंट्री लीडर, आइटीसी लिमिटेड के टेक्नोलॉजी हेड गौरव शर्मा, फेडबैंक फाइनेंशियल सर्विसेज के सीडीओ शिवकुमार नंदीपाटी व एल्टस ग्रुप के सेंटर हेड लोकेश नाटू ने स्पष्ट किया कि एआइ के साथ नैतिकता और सहानुभूति को जोड़ना आज की सबसे बड़ी नेतृत्व परीक्षा है. यहां इम्पैथेटिक लीडरशिप और ह्यूमन सेंट्रिक एआइ जैसे शब्द केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि रणनीतिक आवश्यकता के रूप में उभरे.
पैनल 3: डेटा सेंटर वह हृदय है जो अब कंपनियों की धड़कन बन चुका है
इस सत्र में जो गंभीरता दिखी, वह दर्शाता है कि आज डेटा केवल संपत्ति नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व बन चुका है. एनएसइ के साइबर प्रमुख राजीवन कल्लमपुरम ने जहां साइबर डिफेंस की बदलती रणनीतियों पर बात की, वहीं अडाणी हेल्थकेयर के सीडीओ मनीष कुमार , जेनपैक्ट के वीपी ( बिजनेस ऑप्स ) चिरदीप भट्टाचार्य और ऑलस्टेट इंडिया के सीनियर मैनेजर विपिन गुप्ता ने बताया कि डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर अब किसी बैकएंड सपोर्ट का मामला नहीं, बल्कि बिजनेस इनोवेशन का इंजन है. चर्चा में एड्ज कंप्यूटिंग से लेकर साइबर सुरक्षा और नियामकीय अनुपालन जैसे मुद्दे उठाए गए, और बताया गया कि इनका सीधा असर व्यापार की निरंतरता व नवाचार पर होता है.