Campus Boom.
ई-यंत्रम वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्लांट का उद्घाटन AMTZ कैम्पस, विशाखापत्तनम में हुआ। इस प्लान्ट का उद्घाटन पद्मश्री प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने किया। प्रो० सुद भारत सरकार में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार हैं। डॉ. जितेंद्र शर्मा (एमडी & सीईओ AMTZ) भी इस उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि मार्च 2025 में सीएसआईआर-एनएमएल, जमशेदपूर एवं ई-यंत्रम वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बीच तकनिकी ट्रान्सफर हेतु एमओयू (MoU) करार हुआ था। करार के दौरान सीएसआईआर-एनएमएल के तरफ से डॉ. मनीष कुमार झा, परियोजना प्रमुख, डॉ. संदीप घोष चौधुरी, निदेशक, डॉ. शीतल कुमार पाल, व्यापार प्रमुख एवं टीम के सदस्य उपस्थित थे। रिसाइक्लिंग कम्पनी के तरफ से श्री आशीष लोहिया एवं विष्णु लोहिया उपस्थित थे। दोनों कम्पनी के निदेशक है।
एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए धातु उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में, जब चीन रेयर और रेयर अर्थ मेटल्स की आपूर्ति को सीमित और महंगा कर रहा हैं, तब हमारे लिए इन धातुओं की उपलब्धता और भी महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में क्रिटिकल, रेयर और रेयर अर्थ मेटल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।
लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। हमारे इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल कचरे (E-waste) में लगभग 32 प्रकार की बहुमूल्य धातुएं मौजूद हैं। कंप्यूटर मदरबोर्ड, बैटरियां, और सेमीकंडक्टर जैसे उपकरणों के निर्माण के लिए ये धातुएं अत्यंत आवश्यक हैं, जिनका हम अब तक मुख्य रूप से आयात करते आए हैं। यदि हम इस ई-कचरे और बैटरियों का व्यवस्थित संग्रहण और पुनर्चक्रण (collection and recycling) कर पाएं तो विदेशी आयात पर हमारी निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।
इस दिशा में भारत सरकार का नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके तहत ई-कचरा और बैट्री रिसाइकलिंग के लिए 1500 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं। पिछले 20 वर्षों से, सीएसआईआर – राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला इस दिशा में लगातार काम कर रही है। सीएसआईआर-एनएमएल ने भारत में प्रथम अर्बन ओर रिसाइक्लिंग सेंटर की स्थापना की जहाँ विभिन्न प्रकार के ई-वेस्ट नन फेरस, रेयर और रेयर अर्थ मेटल निष्कर्षण की तकनीकी विकसित की जाती हैं। एनएमएल टीम ने अब तक 16 तकनीकी राष्ट्रीय कंपनियों को हस्तांतरित की हैं।
यह गर्व की बात है कि इनमें से 14 कंपनियां पहले से ही व्यावसायिक स्तर (Commercial level) पर उत्पादन कर रही हैं, और दो कंपनियां पायलट परीक्षण के चरण में हैं, जो जल्द ही उत्पादन शुरू कर देंगी। यह यात्रा एक आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की ओर एक ठोस कदम है। यह प्लांट सफलता की नई ऊंचाइयों को छुएगा और हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
आज भी भारत में 95% ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग गैर कानुनी ढंग से अशिक्षित कबाड़ी वालों के द्वारा जागरूकता के अभाव में हो रहा हैं। इसमें पर्यावरण का नुकसान तो हो ही रहा है, साथ में बहुमूल्य धातु का निष्कर्षण नहीं के कारण पर्यावरण में loss हो रहा है। इस दिशा में CSIR-NML, C-MET, CIPET के साथ मिल कर 50 मास्टर ट्रेनर और 15000 informal sector को formalise करने की दिशा में प्रयासरत है। यह कार्य भारत में 28 राज्यों एवं 02 केन्द्र शासित प्रदेश में करने का लक्ष्य है।
यह ट्रेनिंग एवं जागरुकता अभियान सीएसआईआर-एनएमएल विभिन्न Clusters में किया जायेगा। सारे स्टडी कंटेंट हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं ओड़िया, बांग्ला, असमिया, मराठी इत्यादि में बनाया जायेगा। ई-यंत्रम कंपनी का नेतृत्व श्री आशीष लोहिया एवं उनके पिता श्री भानु लोहिया, श्री गुरुदत्त बंगारपर रामा राव, करेंगें।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने समय समय पर ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग हेतु विभिन्न सोशल मीडिया से प्रयास किया है। यह अभियान लाखों रोजगार पैदा करेगा, क्रटिकल, रेयर एवं रेयर अर्थ मेटल्स उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। यह करोडों कबाड़ी वालों को जागरुकता पैदा कर रोजगार के साथ साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ बनायेगा।