संताली लघु फिल्म हिदीज, आंगीभार, पपाया, हिंदी लघु फिल्म ग्रामसभा का स्क्रीनिंग
युवा फिल्मकारों से सजी वीपीआरए फाउंडेशन व सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन का संयुक्त प्रयास
पोटका के धीरोल पुड़सी के सभी 16 गांवों में आयोजित होगा गांव फिल्म फेस्टिवल
Campus Boom.
संताल आदिवासी गांवों में अखड़ा सांस्कृतिक सामाजिक कार्यों का केंद्र होता है। रविवार की शाम पोटका के केस्टोनगर गांव के अखड़े में रात्रि चौपाल लगाकर ग्रामवासियों ने सिनेमा का आनंद उठाया। युवा फिल्मकारों से सजी वीपीआरए फाउंडेशन व सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में गांव फिल्म फेस्टिवल के तहत फिल्म स्क्रीनिंग की गई। इस दौरान संताली लघु फिल्म हिदीज, आंगीभार, पपाया के साथ साथ हिंदी लघु फिल्म ग्रामसभा का स्क्रीनिंग किया गया।
फिल्मों के माध्यम से आधुनिक होते समय में गांवों में रहनेवाले कृषक समाज की उलझने, भाषाओं के संवर्धन हेतु अंतरपीढ़ीगत संवाद की आवश्यकता, ग्रामीण परिवेश में बदलाव लाने हेतु बच्चों व युवाओं के शिक्षा का महत्व, ग्राम सभा के माध्यम से गांव की समस्याओ का समाधान, पेसा कानून इत्यादि महत्वपूर्ण ग्रामीण मुद्दों पर जागरूकता फैलाई गई। हर फिल्म के बाद फिल्म से जुड़े मुद्दे पर विस्तार से संवाद भी किया गया, जिसमें जानकारियों व सामान्य समझ में अंतर भी साफ साफ नजर आया।
केस्टोनगर गांव के माझी गणेश मुर्मू ने बताया कि अभी तक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से गांव वालों को जागरूक किया जाता था, लेकिन फिल्म के माध्यम से भी ऐसा कुछ किया जा सकता है, यह देखना हम गांववालों के लिए अनूठा रहा। दिखाई गई सभी फिल्में स्थानीय स्तर पर ही युवा फिल्मकारों के द्वारा निर्मित की गई है। मौके पर वीपीआर फाउंडेशन के युवा फिल्मकार विकास – प्रकाश, प्रज्ञा सिंह, कुणाल, सुमित मरांडी, असिस्टेंट प्रोफेसर बापी मुर्मू, पीएचडी रिसर्च स्कॉलर तन्मय शुभम, निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक तरुण कुमार व अन्य महत्वपूर्ण रूप से उपस्थित थे। वही कार्यक्रम के दौरान 100 से ज्यादा बच्चे और ग्रामीण उपस्थित थे।
केस्टोनगर में फिल्म स्क्रीनिंग के आयोजन में संताली कलाकार राम चंद्र मार्डी व उर्मिला का महत्वपूर्ण योगदान रहा। गांव के माझी बाबा के मार्गदर्शन से आने वाले समय में धीरोल पुड़सी के सभी 16 गांवों धिरोड, कालिकापुर, मातकमडीह, मानहाड़ा, केस्टोनगर, रांगमाटीया, पाथरभांगा, सावनाडीह, बिरबाद, रिमड़ा, राहामदा, स्वर्गचिड़ा, चेमाईजुडी, दाबांकी, बालिजुडी और माहलेसाई में बारी बारी से रात्रि चौपाल लगाकर लोगों को सिनेमा दिखलाने की योजना है। बिना किसी वित्तीय सहायता के युवा व ग्रामीण भागीदारी से जरूरी संसाधन जुटाकर फिल्मों के माध्यम से गांवों के मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा शुरू करने का मंच तैयार करने का यह प्रयास बेहद प्रेरक है।