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करीम सिटी कॉलेज में सेंटर फॉर एकेडमिक डेवलपमेंट (CAD) के तत्वावधान में व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय रहा ‘गणितीय तर्कणा और इनके अनुप्रयोग”। मुख्य वक्ता के तौर पर गणित विभाग के सहायक-प्राध्यापक डॉ. शाहिद अहमद हाशमी थे। कार्यक्रम में सर्वप्रथम कैड की कन्वेनर डॉ संध्या सिन्हा ने स्वागत करते हुए विषय का परिचय दिया। विषय प्रवेश कराते हुए उन्होंने कहा कि गणितीय तर्कणा के माध्यम से, व्यक्ति गणित विज्ञान के साथ जीवन की समस्याओं को हल करने, समाधान विकसित करने, तार्किक निष्कर्ष निकालने और समाधानों के अनुप्रयोग को समझने में अधिक कुशल हो जाता है। वर्तमान जटिलताओं के आलोक में गणितीय तर्कणा और इनके अनुप्रयोग पर चर्चा करना समय की माँग है।
CAD के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ शाहिद अहमद हाशमी ने बताया कि “गणितीय तर्कणा और इनके अनुप्रयोग” एक जटिल और गतिशील विषय क्षेत्र है जो डिजिटल होते वैश्विक बदलाव, जीवन की जटिलताओं और कौशल विकास के आयामों को स्पर्श करता है।
गणित जीवन की जटिलताओं को आगमन एवम निगमन विधियों द्वारा सम्बोधित करता है। ए आई और डिजिटल विश्व में स्थान और ज्ञान की सीमाएं लुप्त हो रही हैं किंतु इसका दूसरा बड़ा पक्ष यह है कि पूरा डिजिटल दुनिया सिर्फ दो संख्या 0 और 1 के बाइनरी प्रणाली में कैद है। उन्होंने इस संदर्भ में कई उदाहरण भी प्रस्तुत किए।
डॉ शाहिद अहमद हाशमी
मुख्य वक्ता के व्याख्यान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए करिम्स ट्रस्ट के सेक्रेट्री डॉ मोहम्मद ज़करिया सर ने बताया कि भारत जैसे तेज़ी से विकसित देश की भूमिका और डिजिटल वैश्विक परिदृश्य में गणितीय तर्कणा के महत्व को विस्तार में बताया।
व्याख्यान सत्र के अध्यक्ष कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मोहम्मद रेयाज़ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में गणित के महत्त्व पर विशद चर्चा की। उन्होनें शून्य और अशून्य के विविध पक्षों पर विचार व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए अकादमिक विकास केंद्र और कन्वेनर डॉ. संध्या को साधुवाद दिया।
गहन चर्चा करते हुए प्रो. आले अली, प्रो. उधम, प्रो. मोइज आदि ने भी प्रश्न किया जिसका संतोषजनक उत्तर देते हुए डॉ. हाशमी ने गणितीय तर्कणा के वर्तमान परिदृश्य में अनुप्रयोग पर प्रकाश डालाल
कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ. मोहम्मद रेयाज ने बताया कि बदलते परिदृश्य में भारत ने अपनी गतिशील और डिजिटल विकास की यात्रा में गणितीय अनुप्रयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख भागीदार के रूप में अपनी पहचान स्थापित की हैl बताया कि आज के सन्दर्भ में गणितीय तर्कणा का अनुप्रयोग किया जा सकता है। अंत में हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. फिरोज आलम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

