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बहरागोेड़ा प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय झांझिया में आयोजित बुनियादी साक्षरता आकलन जांच परीक्षा ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। इस परीक्षा में झांझिया, सांड्रा, जगन्नाथपुर, कोकरोमरागाड़िया और चांदड़ा से आए 47 महिलाओं व 15 पुरुषों ने हिस्सा लिया।
खास बात यह रही कि इनमें से कई महिलाएं 45 से 60 वर्ष की आयु में पहली बार परीक्षा देने पहुंचीं। उम्र के इस पड़ाव पर उनकी जिज्ञासा और सीखने की लगन देखकर सभी प्रभावित हुए।
परीक्षा देने के बाद बुजुर्ग महिलाओं ने खुशी जताते हुए कहा कि अब वे स्वयं हिसाब-किताब कर सकती हैं, अपने नाती-पोतों के साथ पढ़ाई कर सकती हैं और समाज में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकती हैं। उनका मानना है कि शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती, यह जीवन में नई शुरुआत देती है।
परीक्षा का संचालन
परीक्षा का संचालन केंद्र अधीक्षक सह झांझिया उत्क्रमित उच्च विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक आदित्य करण, झांझिया संकुल सीआरपी स्वपन कुमार दत्ता तथा अन्य शिक्षकों एवं पर्यवेक्षकों की देखरेख में हुआ।
पर्यवेक्षक तापस रंजन महापात्र, निमाई चांद सिंह, बिथिका प्रधान, अजीत कुमार सिंह, दुलाल सोरेन और लिपिक लक्ष्मीकांत सिंह ने पूरी परीक्षा को कदाचारमुक्त बनाया।
उद्देश्य और महत्व
इस परीक्षा का मुख्य उद्देश्य वयस्क शिक्षा कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को साक्षर बनाना और उनकी संख्यात्मक क्षमताओं का मूल्यांकन करना था।
यह न सिर्फ साक्षरता स्तर को बढ़ाने की दिशा में प्रयास है, बल्कि वयस्कों को आत्मनिर्भर बनाने का भी एक सशक्त कदम है।
शिक्षा के प्रति बढ़ी जागरूकता
उत्क्रमित उच्च विद्यालय झांझिया ने इस परीक्षा के सफल आयोजन में अहम भूमिका निभाई। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और यह संदेश गया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।