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श्रावण माह में दलमा स्थित प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन को जा रहे श्रद्धालुओं से वन विभाग द्वारा पहली बार एंट्री फ़ीस वसूले जाने के फैसले ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में भारी नाराजगी उत्पन्न कर दी है। इस फैसले को लेकर भाजपा ने तीव्र आपत्ति दर्ज करते हुए इसे सनातन आस्था पर हमला और जबरन जज़िया कर थोपने जैसा बताया है।
भाजपा के पूर्व जिला मीडिया प्रभारी अंकित आनंद ने इस मुद्दे को सबसे पहले ट्विटर पर उठाते हुए वन विभाग के निर्णय को “तुगलकी फरमान” बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम से इस अमानवीय आदेश को अविलंब रद्द करने की मांग की है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने अंकित आनंद के ट्वीट को रीपोस्ट करते हुए लिखा, “सनातनी आस्था पर टैक्स अविलंब समाप्त किया जाए। यह धार्मिक स्वतंत्रता का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग किया कि इस आधुनिक युग के जजिया टैक्स को अविलंब समाप्त किया जाये और हिंदू आस्था से खिलवाड़ बंद हो”
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को सनातन परंपरा और श्रद्धा से खेलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने सरायकेला जिले के उपायुक्त से इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने की माँग करते हुए अविलंब रोक लगाने की मांग की है। दिनेश कुमार ने कहा कि जहां राज्य सरकार देवघर और बासुकिनाथ में करोड़ों रुपये खर्च कर श्रावणी मेले में भक्तों को सुविधा मुहैया करा रही है, वहीं जमशेदपुर डीएफओ शिव भक्तों से इंट्री फ़ीस वसूल रहे हैं।
इस मुद्दे पर हिंदुवादी संगठनों में भी गहरी नाराजगी देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, कई हिंदू संगठन इस निर्णय के खिलाफ जल्द ही विरोध प्रदर्शन और जनआंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।