Campus Boom.
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग द्वारा आयोजित “युवाओं के लिए बुनियादी कंप्यूटर कौशल और डिजिटल साक्षरता” कार्यशाला ने तीसरे दिन भी पूरे जोश, उत्साह और समर्पण के साथ डिजिटल ज्ञान को ग्रामीण युवाओं तक पहुँचाने का कार्य जारी रखा।
कार्यशाला में भाग ले रहे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए प्रतिभागियों ने अब कंप्यूटर की बुनियादी समझ को केवल सिद्धांत तक सीमित न रखते हुए व्यवहारिक अभ्यास के माध्यम से उसे आत्मसात करना शुरू कर दिया है।
आज का पूरा दिन विशेष रूप से वास्तविक जीवन में उपयोगी डिजिटल कौशलों पर केंद्रित रहा — जिनमें शामिल थे:
– डिजिटल संचार (ईमेल, गूगल फॉर्म आदि)
– ऑनलाइन फॉर्म भरना (छात्रवृत्ति, सरकारी सेवाएँ आदि)
-सरकारी डिजिटल पोर्टल्स तक पहुँच और उनका सुरक्षित उपयोग
इन गतिविधियों के माध्यम से न केवल छात्रों ने पहली बार स्वतंत्र रूप से ईमेल भेजना और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करना सीखा, बल्कि उनमें डिजिटल आत्मनिर्भरता का आत्मविश्वास भी देखा गया।
तीसरे दिन की प्रमुख गतिविधियाँ:
• ईमेल खाता बनाना और उपयोग करना
• गूगल सर्च और यूट्यूब पर शिक्षण सामग्री खोजना
• ऑनलाइन फॉर्म (जैसे छात्रवृत्ति, परीक्षा आवेदन) भरने की प्रक्रिया सीखना
• डिजिटल भुगतान और UPI की मूल बातें समझना
• सरकारी पोर्टलों जैसे DigiLocker, PMGDISHA, और job portals का डेमो और प्रशिक्षण
सीखने की ललक और आत्मविश्वास
कई छात्रों ने पहली बार खुद से ईमेल भेजा, डिजिटल डाक्यूमेंट डाउनलोड किया और फॉर्म भरने का अभ्यास किया। किशोरी प्रतिभागियों ने खास रुचि दिखाते हुए व्हाट्सएप के सुरक्षित उपयोग और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाव जैसे विषयों पर सवाल पूछे।
प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया
“पहले लगता था कि कंप्यूटर सिर्फ शहर के लोगों के लिए होता है… अब लग रहा है कि हम भी कर सकते हैं!”
— उषा मुखी (महिला, 33 वर्ष)
“आज मैंने पहली बार खुद से कोई फॉर्म भरा। अब डर नहीं लगता ऑनलाइन काम करने में।”
— सुमी बान सिंह (महिला, 29 वर्ष)
“पहली बार Excel और PPT बनाना सीखा। यहाँ के सर लोग बहुत ही मददगार हैं।”
— अमन कुमार (17 वर्ष)
“मेरी चल नहीं सकती, लेकिन मेरी जिज्ञासा और आत्म-विश्वास ने मुझे कंप्यूटर सीखने की प्रेरणा दी।
सीखना मेरा अधिकार है — और यह अधिकार मुझे NIT जमशेदपुर दे रहा है।”
— रीशु कुमारी (महिला, 27 वर्ष, दिव्यांग)
प्रशिक्षकों और वालंटियर्स की सक्रिय भागीदारी
दिनभर की सभी गतिविधियाँ डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. आलोक प्रियदर्शी, डॉ. एस.के. तिवारी, और डॉ. सुचिस्मिता महतो के कुशल मार्गदर्शन में सुचारू रूप से संचालित की गईं।
वहीं, सुधांशु शेखर, चिरंजीवी कान्त, अमित भारती, बिजय सिंह, अशित एक्का, और रंजन कुमार ने प्रतिभागियों को डेस्कटॉप व लैपटॉप पर व्यावहारिक अभ्यास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने हर प्रतिभागी को व्यक्तिगत रूप से समय दिया, उनकी शंकाएँ दूर कीं, और उन्हें तकनीक के साथ आत्मविश्वास से काम करना सिखाया।
अभियान की अगली दिशा
कार्यशाला के अगले दो दिन साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रयोग, और डिजिटल आत्मनिर्भरता जैसे अत्यंत प्रासंगिक और भविष्य-उन्मुख विषयों पर केंद्रित रहेंगे।
प्रतिभागियों को न केवल डिजिटल दुनिया के लाभ, बल्कि उससे जुड़ी चुनौतियों और सुरक्षा पहलुओं की भी गहराई से जानकारी दी जाएगी।
विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग, डॉ. डैनिश अली खान और संयोजक डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि “प्रतिभागियों में आत्मविश्वास और सीखने की ललक स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है — और यही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता है।”
इस अवसर पर यह भी उल्लेखनीय रहा कि माननीय निदेशक प्रो. (डॉ.) गौतम सूत्रधार का स्पष्ट दृष्टिकोण और सपना रहा है कि
“डिजिटल साक्षरता केवल शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि हर गाँव, हर बच्चा — चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो — तकनीक से जुड़ सके और आत्मनिर्भर बन सके।” यही सोच इस पूरे अभियान की प्रेरणा रही है — और यही इसे एक सामान्य प्रशिक्षण से एक जन-आंदोलन में बदल देती है।
“यह कार्यशाला केवल प्रशिक्षण नहीं — एक आंदोलन है।
जो युवाओं को गाँव से उठाकर डिजिटल भारत की मुख्यधारा में ला रहा है।”