- संघ की सरकार से अपील के साथ चेतावनी: सरकार फैसला ले वापस, नहीं तो विद्यार्थी और अभिभावकों के संग होगा धरना प्रदर्शन
Campus Boom.
झारखंड मानवाधिकार संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार किनू ने इंटरमीडिएट के दाखिला के साथ महाविद्यालयों में संचालित पढ़ाई को बंद करने के आदेश को गलत बताया है और इसे विद्यार्थी विरोधी फैसला करार दिया है. उन्होंने जारी अपने एक बयान में कहा है कि नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के नाम पर झारखंड सरकार शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें. राज्य के महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई को बंद करने से न केवल हजारों लाखों बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि पढ़ाई करा रहे शिक्षक कर्मचारी भी अचानक से बेरोजगार हो गए है. सत्र 2024-26 में दाखिला ले चुके और पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी कहां जाएंगे? सरकार के फरमान के अनुसार 12वीं में पढ़ रहे विद्यार्थियों को 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित प्लस टू स्कूल अथवा इंटर कॉलेज में समायोजित किया जाएगा. यह प्रक्रिया कब की जाएगी? अब तक इसको लेकर कोई पहल नहीं की गई है. विद्यार्थियों को अब यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वे जिस कॉलेज में दाखिला लिए हैं, उसके विद्यार्थी हैं भी या नहीं, अगर नहीं है, तो उनका दाखिला किस कॉलेज में हुआ है या होगा, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा है कि सरकार के इस फैसले से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी, जिसका प्रभाव परिणाम में पड़ सकता है.
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दिनेश कुमार किनू ने सरकार के इस कदम को विद्यार्थियों के अधिकारों के हनन के तौर पर बताया है. उन्होंने कहा कि राज्य के हजारों विद्यार्थी और उनके अभिभावक परेशान हैं कि उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा. एक साल जिस कॉलेज में पढ़े, उनकी पहचान उस कॉलेज से होगी या जिस स्कूल में उन्हें समायोजित किया जाएगा उस स्कूल से. यह भी सवाल उठाया गया है कि जिन विद्यार्थियों ने 12वीं में दाखिला लेकर शुल्क जमा कर दिया है, उनका क्या होगा. ऐसे में अगर उन्हें दूसरे स्कूल में समायोजित किया जाएगा, तो क्या उन्हें फिर से शुल्क देना होगा?
दिनेश कुमार किनू ने अपील करते हुए कहा है कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग इस मसले पर एक बार फिर से विचार करें, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो. उन्होंने कहा कि 12वीं की कक्षा अब महज आठ से नौ माह की बची है, ऐसे में जो बच्चे अभी 12वीं में हैं उनका पूरा कोर्स दाखिला लिए कॉलेज से ही पूरा होने का अवसर देना चाहिए. इससे सरकार और विभाग को भी कोई तकनीकी गड़कड़ी का सामना नहीं करना पड़ेगा और जो शिक्षक और कर्मचारी वर्तमान में अपनी सेवा दे रहे हैं वह भी अचानक बेरोजगार नहीं होंगे सरकार को उन्हें भी समायोजित करने की नीति बनाने का समय मिल जाएगा.
दिनेश कुमार ने जारी बयान में यह चेतावनी भी दी है कि सरकार अगर इस विषय पर सकारात्मक विचार और पहल नहीं करती है, तो विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ धरना प्रदर्शन किया जाएगा.