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आईसीएसई, सीबीएसई द्वारा 10वीं-12वीं का परिणाम जारी होने के बाद, अब विद्यार्थियों को झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) के 10वीं-12वीं के रिजल्ट का इंतजार है. सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में परिणाम जारी कर दिए जाऐंगे. विद्यार्थियों को जिस परिणाम का बेसब्री से इंतजार है, उसके साथ ही 10वीं पास होने वाले विद्यार्थियों के सामने एक बड़ा सवाल भी खड़ा दिखाई दे रहा है. सवाल यह कि 10वीं के बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला कहां लेंगे. यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि झारखंड सरकार ने महाविद्यालयों में संचालित इंटरमीडिएट में दाखिला को लेकर अपनी स्थिति को स्पष्ट नहीं किया है. हालांकि पूर्व में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान यह कहा था कि बगैर सुविधा बहाल किए, वे कॉलेजों में सचालित इंटरमीडिएट प्रभाग को बंद नहीं होने देंगे.
सरकार के फैसले का इंतजार
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दरअसल सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर वर्ष 2023 में अंगीभूत महाविद्यालयों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई को चरणबद्ध तरीके से सीटों की संख्या को घटाते हुए तीन चरणों में बंद करने की बात कही गई थी. इसके अनुसार सत्र 2023-25, सत्र 2024-26 और सत्र 2025-27 के लिए दाखिला लेने की छूट देते हुए अधिसूचना जारी की गई थी. वर्ष 2024 में इंटरमीडिएट में दाखिला को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई थी, इसबार की देरी से महाविद्यालय प्रबंधन भी संशय में है. मालूम हो कि वर्ष 2023 में काफी आंदोलन के बाद तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार ने इंटरमीडिएट में दाखिला को शर्त के साथ जारी रखने की अधिसूचना जारी की थी.
9वीं से 12वीं की पढ़ाई एक साथ होनी है
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत अब नौवीं से 12वीं की पढ़ाई एक साथ होनी है. जो स्कूल प्लस टू या इंटरमीडिएट कॉलेज है उन्हें अब नौवीं से दाखिला लेना होगा. इसलिए महाविद्यालयों से इंटर की पढ़ाई को बंद किया जा रहा है. राज्य में कुल 810 प्लस टू विद्यालय हैं. इनमें 59 एकीकृत बिहार के समय के हैं. जबकि शेष विद्यालय को राज्य गठन के बाद हाइस्कूल से प्लस टू में अपग्रेड किया गया है.
दाखिला बंद हुआ, तो कहां जाएंगे विद्यार्थी
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वर्ष 2025 में हुई 10वीं बोर्ड में पूरे राज्य से 4,33,888 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है. ये विद्यार्थी पास होने के बाद प्लस टू स्कूलों में दाखिला लेने के लिए जाएंगे. लेकिन वहां सभी का दाखिला नहीं हो पाएगा. क्योंकि राज्य के 62 महाविद्यालयों में तीन अलग अलग संकाय में 384 के हिसाब से एक कॉलेज में 1152 विद्यार्थियों का दाखिला होता है, इसके अनुसार 62 कॉलेजों में 71 हजार विद्यार्थी दाखिला लेते हैं. ऐसे हर साल 65 से 71 हजार विद्यार्थियों की संख्या को खपाने वाले डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई बंद होगी, तो वे कहां जाएंगे. क्योंकि सरकारी प्लस टू स्कूलों की संख्या उस अनुसार नहीं है. जहां पढ़ाई हो भी रही है वहां आधारभूत संरचना और विषयवार शिक्षकों की कमी है.
गरीबों की सरकार में महंगी हो जाएगी शिक्षा व्यवस्था
बगैर सरकारी स्तर पर प्लस टू स्कूलों की संख्या बढ़ाए और आधारभूत संरचना को दुरुस्त किए अगर कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद की जाती है, तो ऐसे में निजी इंटरमीडिएट कॉलेजों की मनमानी बढ़ जाएगी, जो पिछले सत्र में भी देखने को मिला है. राज्य के गरीब और कमजोर परिवार के बच्चे अच्छी और सस्ती शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. ऐसे में विद्यार्थियों को निजी कॉलेजों की महंगी फीस देनी पड़ेगी या पढ़ाई ही छूट जाएगी. मालूम हो कि 2023 से जब महाविद्यालयों से इंटरमीडिएट का सीट घटाया गया और प्रभाग को बंद करने की बात से ही निजी इंटरमीडिएट कॉलेजों ने फीस में तीन से पांच गुना की वृद्धि कर दी थी.